




अस्थिकलश यात्रा निकाली, विधि विधान से किया तर्पण
156 अस्थिकलश का रावण सरकार ने किया हरिद्वार हरकी पौड़ी पर विसर्जन
कर्मयोगी सेवा संस्थान तथा कर्मयोगी रावण सरकार के द्वारा बुधवार को जरूरतमंद परिवारों और निराश्रितों के अस्थि कलश हरिद्वार हरकी पौड़ी पर विसर्जित किए गए। इससे पहले संस्थान अध्यक्ष अलका दुलारी जैन कर्मयोगी के नेतृत्व में हरिद्वार पहुंचने के बाद 25वीं अस्थि कलश यात्रा निकाली गई। कर्मयोगी रावण सरकार ने मनसा माता गेट से घोड़ा बग्गी पर अस्थि कलश रखकर 21 बैंड वादकों की मधुरस्वर लहरियों पर हरिद्वार पंडा प्रमुख नरेश प्रधान के नेतृत्व में क्रियाकांडी पंडितों के साथ हरकी पौड़ी के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान “ज्योत से ज्योत जलाते चलो.. प्रेम की गंगा बहाते चलो.. राह में आए जो दिन दुखी सबको गले से लगाते चलो.., गंगा तेरा पानी अमृत.. झर झर बहता जाए..” जैसे सुमधुर भक्ति गीत गूंज रहे थे। घोड़ा बग्गी में अस्थिकलश रखकर रावण के वेश में राजाराम जैन कर्मयोगी एवं मंदोदरी का प्रतिरुप धरकर अलका दुलारी जैन कर्मयोगी अभिवादन करते चल रहहे थे।
कर्मयोगी ने बताया कि प्राचीन ग्रंथों की मान्यता के अनुसार रावण द्वारा ही हरिद्वार में हरकी पौड़ी का निर्माण किया गया था। रावण ने अपनी तपस्या के बल पर भगवान शिव को प्रसन्न करते हुए वरदान प्राप्त कर लिया था। राक्षस कुल के उद्धार के लिए स्वर्ग तक सीढ़ियों का निर्माण करना और उसी के अंतर्गत प्रथम सीढ़ी का निर्माण हरिद्वार हरकी पौड़ी से प्रारंभ किया गया।
कर्मयोगी ने बताया कि कर्मयोगी सेवा संस्थान परिवार की ओर से 2008 से अब तक 24 अस्थि कलश यात्रा निकाली जा चुकी है। जिसके माध्यम से 6223 अस्थि कलश का विसर्जन किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 25वीं यात्रा में अध्यक्ष अलका दुलारी जैन कर्मयोगी, कोटा उत्तर अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा, नीलम शर्मा, लक्ष्मीनारायण गर्ग, महावीर प्रसाद जैन, संजय कुमार डोगरा द्वारा 156 अस्थियों को गंगा में विधि विधान के साथ विसर्जित कर सभी दिवंगत आत्माओं की शांति एवं मोक्ष प्राप्ति की कामना की गई।