



नशा मुक्त राजस्थान के अंतर्गत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तूंगा में नशा मुक्ति कार्यक्रम का हुआ आयोजन
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विधालय के तूंगा सेवाकेंद्र के तत्वावधान में ब्रह्माकुमारीज़ के मेडिकल प्रभाग तथा भारत सरकार की सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान के अंतर्गत “नशा मुक्त राजस्थान अभियान” के अंतर्गत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, तूंगा में नशा मुक्ति का कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में श्री प्रभु दयाल जी गुर्जर (प्रिन्सिपल) सहित सभी शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी जानकी बहन ने सभी तरह के नशों एवं मोबाइल, इंटरनेट रूपी डिजिटल नशों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि हमारे भारत को नशा मुक्त बनाना है तो सर्वप्रथम स्वयं को नशा मुक्त बनाना होगा और उसके लिए अपने मन को सशक्त बनाना और बताया कि नशे की शुरुआत 13 साल की उम्र से 20 वर्ष की उम्र के बीच में शुरुआत हो जाती है उसमें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है जिन बच्चों के परिवार में मात-पिता और परिवार में से कोई भी नशा लेता है तो उन बच्चों में नशे की लत लगने की ज्यादा संभावना होती है और बच्चों को बताया कि आप अपने परिवार में भी अगर कोई नशा लेता है तो उनको भी रिगार्ड के साथ रिस्पेक्ट के साथ समझाएं कि नशा हमें बहुत नुकसान पहुंचता है नशा करने से हमारा मस्तिष्क कमजोर हो जाता है जिससे हम अपनी जिम्मेवारियां को पीछे छोड़ देते हैं पढ़ाई में कमजोर रह जाते हैं अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते इसलिए जो बच्चे नशा करते हैं वह नशा को छोड़े और आगे भी अपना ध्यान रखें नशे से फेफड़े किडनी लिवर खराब होते है कई प्रकार के नशे होते हैं केमिकल नशे माना दो प्रकार के एक खाया जाता और एक पिया जाता है खाने वाले नशे गुटखा तंबाकू इत्यादि और पीने वाली नशे में वायन शराब बियर इत्यादि आते है और डिजिटल नशा माना मोबाइल पर लंबे समय तक गेम्स खेलने सोशल मीडिया से इंटरनेट से जुड़े रहना इत्यादि बताया कि किसी भी चीज की अति कोई भी चीज जिसके बिना हम रह नहीं सकते एडिक्शन हो जाता है वह नशे में ही आता है। बच्चों में एकाग्रता की कमी आने और तनाव आने की वजह से बच्चे नशे का शिकार हो जाते हैं।
बच्चो को अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहने की प्रेरणा भी दी। और सभी व्यसनों से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी देते हुए कहा कि जब हमारे मन में सकारात्मक विचारों का प्रभाव अत्यधिक होता है तो नेगेटिव वातावरण का प्रभाव हमारे मन को प्रभावित नहीं कर सकता। ब्रह्माकुमारी सुनीता दीदी ने अपन वक्तव्य में श्री कृष्ण जी का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे श्री कृष्ण जी किसी भी प्रकार का नशा नहीं करते थे और वह सब का सहयोग करते थे हमें भी श्री कृष्ण जी के समान बनना है , जो नशा करते हैं वह दुर्योधन समान होते हैं और जो नशा नहीं करते हैं श्री कृष्ण के समान होते हैं। हमें चीर हरण करने वाला नहीं चाहिए बचाने वाला बनना है श्री कृष्ण के समान यही सच्ची जन्माष्टमी मानना और मां सरस्वती के वाहन हंस की भी महिमा बताइए जिस प्रकार हंस मोती चुकता है पानी और दूध में से दूध पीता है और पानी को अलग कर देता है उसी प्रकार हमारी बुद्धि भी स्वच्छ होनी चाहिए। हमें किसी प्रकार की बुराइयों को अपनी बुद्धि में नहीं रखना है हमें अच्छाई ही उठानी है अगर हम नशा करेंगे बुराइयों को अपनाएंगे तो हमें किसी का प्यार नहीं मिलेगा ,सम्मान नहीं मिलेगा ,और साथ ही बच्चों को नशे की लत से जागृति दिलाते हुए राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया और सेवा केंद्र पर आने का निमंत्रण दिया। श्री प्रभु दयाल जी प्रिंसिपल जी ने भी नशे के बारे में कहा कि नशा नहीं करना चाहिए जब स्कूल में कोई फर्स्ट आता है तो उसके लिए तालियां बजाई जाती है लेकिन जो नशा करता है उसके लिए तालियां नहीं बजाए जाती उसको समाज से अलग करना कट कर दिया जाता है उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता इसलिए हमारा यह जीवन का यह समय स्वर्णिम समय है जिसमें अपने जीवन को अच्छा बना सकते हैं इसलिए जीवन को अच्छा बनाना चाहिए और ब्रह्मा कुमारीज के राजयोग मेडिटेशन की काफी सराहना की