



बालघाट समीप नांगल पहाड़ी गांव के सिद्ध आश्रम पर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन धूमधाम से श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह उत्सव मनाया। इस दौरान कथा वाचक सुमन दास महाराज पानी घाट वृंदावन बाले ने कहा कि यह कोई साधारण विवाह नहीं था, बल्कि परमात्मा का विवाह था। परमात्मा प्रेम से मिलता है रुकमणी मन ही मन परमात्मा के श्री चरणों में प्रेम करती थी लेकिन रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी रुक्मणी का विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहता था। रुकमणी कोई साधारण स्त्री नहीं थी वह साक्षात महालक्ष्मी का अवतार थी, और जब रुक्मणी ने देखा कि भाई हट पूर्वक विवाह शिशुपाल के साथ कराना चाहते हैं जिसमें मेरे पिता की इच्छा नहीं है तो रुकमणी ने एक ब्राह्मण के माध्यम से परमात्मा श्री कृष्ण के पास इस संदेश को भेजा गया ।
इस अवसर पर टोडाभीम विधानसभा से भाजपा आकांक्षी भाजपा नेता डॉ धर्म सिंह मीणा मोहनपुरा पहुंचे और भणडारे प्रसादी के लिए 11 हजार रुपए सहयोग राशि भेंट की, प्रोफेसर धर्मसिंह मीणा ने कहा कि भक्त के बस में भगवान होते हैं धार्मिक आयोजन से भाई चारा बढ़ता है मीणा ने माता बहिनों को बताया कि रसोई बनते हुएं भगवान को भोग लगाना चाहिए बेटा बेटा में कोई फर्क ना हो बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाई जाए जिससे बेटी दो परिवारों का नाम रोशन कर सकें इसी बीच में सन्त काले बाबा ने भाजपा नेता डॉ धर्म सिंह मीणा का समूचे गांव की और से माला साफा पहनाकर स्वागत किया गया
आगे कथा वाचक ने बताया कि
रुक्मणी ने कहा कि परमात्मा मैं जन्म जन्मांतरो से आपके श्री चरणों की दासी हूं। आप मुझ पर कृपा कर मुझे अपने चरणों में आश्रय देने की कृपा करें। जब यहां संदेश परमात्मा श्री कृष्ण को प्राप्त हुआ तो उन्होंने ब्राह्मण को सम्मान विदा कर स्वयं पीछे से कुंडलपुर के लिए चले इधर रुकमणी जी मन में विचार करती है कि वह ब्राह्मण परमात्मा के पास मेरा संदेश लेकर पहुंचा अथवा नहीं, तभी उन्होंने देखा कि जिस ब्राह्मण को उन्होंने द्वारिका भेजा था वह ब्राह्मण लौटकर आ गया। रुकमणी के पूछने पर उसने बताया कि परमात्मा ने आपका संदेश सुन लिया है और वे कुंडलपुर आ रहे हैं। कुछ ही समय के बाद श्री कृष्ण कुंडलपुर को आते हैं रुक्मणी के पिता भीष्मक को जब यह बात पता चलती है तो उनकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता है वे बड़े प्रसन्न होते हैं इस मौके पर पहाडी गांव के पंच पटेल आस पास के ग्रामीण , बडी संख्या में महिलायें, सन्त काले बाबा गोपाल शर्मा जीतेन्द्र शर्मा मोहर पाल मीणा, कर्मसिंह मीणा, अरविंद विजेन्द्र सिंह चौहान आदि मौजूद थे
