



इस बार रात में सजेंगी भाइयों की कलाई पर राखियां -आचार्य देवेन्द्र (सलावद)
राजस्थान न्यूज़ एक्सप्रेस |नादौती.इस वर्ष श्रावणी उपाकर्म एवं रक्षाबंधन पर्व को लेकर पंचांगों में गणितीय मानों की भिन्नता के कारण 30 या 31 अगस्त को लेकर समाज में भ्रम की स्थितियां है। सनातन धर्म में किसी भी व्रत पर्व या उत्सव का निर्णय आकाशीय ग्रह पिंडों की गति स्थिति आदि की गणना करते धर्म शास्त्र में निर्दिष्ट व्यवस्था से किया जाता है। इस बार उत्पन्न स्थिति पर विमर्श करते हुए आचार्य देवेन्द्र शर्मा ने बताया की यदि पूर्णिमा का मान दो दिन प्राप्त हो रहा हो तथा प्रथम दिन सूर्योदय के एकादि घटी के बाद पूर्णिमा का आरंभ होकर द्वितीय दिन पूर्णिमा छह घटी से कम प्राप्त हो रही हो तो पूर्व दिन भद्रा से रहित काल में रक्षाबंधन करना चाहिए परंतु’इदं प्रतिपत् युतायां न कार्यम्’ अनुसार पूर्णिमा यदि प्रतिपदा से युक्त होकर छह घटी से कम हो तो रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए। इस वर्ष 31 अगस्त को पूर्णिमा छह घटी से कम है. 30 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 02 मिनट तक भद्रा है। अतः 30 अगस्त की रात में भद्रा पश्चात रक्षाबंधन करना शास्त्र सम्मत होगा। क्योंकि ऐसी स्थिति में रात्रिकाल में भी रक्षाबंधन का विधान शास्त्र देते हैं, ‘तत्सत्वे तु रात्रावपि, सदन्ते कुर्यादिति निर्णयामृते । रात्रौ भद्रावसाने तु रक्षाबन्धः प्रशस्यते।’ भद्रा उतरने पर रात्रि में भी रक्षाबन्धन किया जा सकता है, ‘इदं भद्रायां न कार्यम्। तत्सत्त्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यादिति निर्णयामृते। इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम्।’ इस आज रात्रि 9 बजकर 02 मिनट तक भद्रा रहेगी अतः राखी बाँधने का शुद्ध मुहूर्त्त रात्रि 9 बजकर 02 मिनट के पश्चात रहेगा।